टेलीपैथी क्या है जानिये कैसे टेलीपैथी से दूर बैठे व्यक्ति के मन की बात जान सकते हैं?

क्या आपके साथ कभी कुछ ऐसा हुआ है जहां आपने किसी दूर बैठे हुए व्यक्ति को याद किया हो और वो उसी पल आपके सामने हाज़िर हो गया हो, या आपने किसी को याद किया और उसका कॉल आ गया हो? ऐसा होना संभव है और इसे बहुत लोगो ने अनुभव भी किया है। इसकी सबसे ख़ास बात ये है की आप कभी भी उस व्यक्ति से सीधे संपर्क में नहीं रहते हैं तब भी वो आपके सामने, आपको बताये बिना आ जाता है, या उसका कॉल अथवा सन्देश प्राप्त हो जाता है। इसी तरह के कनेक्शन को टेलीपैथी (telepathy) कहा जाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो बिना किसी उपकरण के दूर बैठे किसी व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचा देना ही टेलीपैथी है। कहा जाता है की इस टेलीपैथी के माध्यम से आप किसी के मन की बात भी जान सकते हैं और साथ ही अपने मन की बात भी उन तक पहुंचा सकते हैं। इसे दूर श्रवण , दूर दृष्टि , दूर संवाद भी कहा जा सकता है क्यूंकि इसमें दूर के लोगो को ही सन्देश भेजने की बात की जाती है। बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो इसे शरीर और मन से भेजा गया सन्देश करार देते हैं। ऐसे लोग मानते हैं की जब दो लोगो के बीच एक अच्छी अंडरस्टैंडिंग (understanding) है तब वो दोनों एक दूसरे की मन की बात जानने में सक्षम होते हैं। वो दो लोग कोई भी हो सकते है, संभव है वो लवर्स हो या फिर परिवार का कोई सदस्य या कोई बहुत करीब का दोस्त, इनमे से कोई भी सकता है। लेकिन ये टेलीपैथी उन्ही लोगो पर कार्य करती है जो एक दूसरे के बहुत करीब होते हैं और भावनात्मक (emotionally attached) तौर पर एक दुसरे से जुड़े होते हैं।

इस लेख में हम आपको telepathy kya hai और telepathy kaise kare के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं साथ ही law of attraction kya hai in hindi के बारे में भी बताएँगे ताकि आप इनके बीच के सम्बन्ध को अच्छे से समझ पायें। टेलीपैथी क्या है को समझना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि हम अक्सर जीवन में ऐसे घटनाओ से रूबरू होते रहते हैं जिनका सम्बन्ध सीधे-सीधे टेलीपैथी जैसी अवधारणा से जुड़ा होता है और साथ ही आकर्षण का नियम कैसे काम करता है ( law of attraction) को भी जानना जरूरी है क्यूंकि ये भी हमारे जीवन से जुडी एक जरूरी अवधारणा है।

टेलीपैथी क्या है – What is telepathy in hindi

फैड्रिक डब्लू एच मायर्स (Frederic W. H. Myers) ने 1882 में, सबसे पहले टेलीपैथी शब्द का प्रयोग किया था। सामान्य तौर पर माना जाता है की मनुष्य में पांच इन्द्रियाँ होती हैं जैसे – सुनना, छूना, देखना, सूंघना और स्वाद लेना, ये कार्य संवेदी अंग करते हैं इसलिए इन्हे संवेदी अंग भी कहा जाता है। संवेदी अंग (sensory organ) वे अंग होते हैं जिनसे हम ये पता लगा सकते हैं की कोई वस्तु विद्यमान (existing) है या नहीं। आंख, नाक, जीभ , त्वचा , और कान संवेदी अंग है। इस सम्बन्ध में माना जाता है की टेलीपैथी जैसा विचार तब कारगर सिद्ध होता है जब किसी की छठी इन्द्रिय भी जागृत हो जाती है। मनुष्य बहुत संवेदनशील प्राणी है और उसे हरदम किसी न किसी के साथ की जरूरत होती है, यही वजह है की हम अक्सर अकेले रहने पर उदास हो जाते हैं। यदि हम अपने मस्तिष्क पर काबू पा लें तो हम दुनिया के किसी भी चीज को जीत सकते हैं – इसे एक मशहूर लाइन से भी समझ सकते हैं की ‘मन के हारे हार है मन के जीते जीत’ मतलब सारे विचार हमारे मन की ही उपज है। मन अगर कण्ट्रोल में है तो पूरा जीवन नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।

टेलीपैथी के सन्दर्भ में ऐसा माना जाता है की हमारे मस्तिष्क (brain) से कुछ तरंगे निकलती हैं और ये तरंगे (waves) इतनी शक्तिशाली होती हैं की अगर हमारा किसी व्यक्ति से भावनात्मक जुड़ाव (emotional connection) बहुत अच्छा है तो हम अपना सन्देश उनतक बिना किसी उपकरण (device) के भी पहुंचा सकते हैं। इसे अशरीरी सन्देश भेजना भी कहा जा सकता है। क्यूंकि इसमें आप भावनात्मक जुड़ाव के कारण किसी से भी संपर्क कर सकते हैं बशर्ते सामने वाले व्यक्ति का भी जुड़ाव आपसे उतना ही होना चाहिए।

टेलीपैथिक संचार के संकेत – Signs of telepathic communication

ऐसा नहीं है की टेलीपैथी जैसी चीज़ को देखने और समझने के लिए इसका कुछ अलग से अभ्यास करने की जरूरत है बल्कि कई बार आपने खुद भी महसूस किया होगा की आप किसी को याद करते हैं और कुछ ही समय में वो व्यक्ति आपके सामने होता है या फिर उसकी किसी तरह की सूचना आपको सन्देश या किसी अन्य माध्यम से मिल जाती है, या ये भी हो सकता है की वो आपको कहीं बाजार या मॉल में मिल जायें। तो इस तरह की चीज़ें होती हैं। इसी के साथ कई बार आपने ये भी देखा होगा की जब कोई छोटा बच्चा रोता है या तकलीफ में होता है तो उस बच्चे की माँ को खुद-ब-खुद पता चल जाता है। इसे भी टेलीपैथिक उदाहरण के रूप में समझ सकते हैं। ऐसा कहा जाता है की पुराने समय में ऋषि-मुनि भविष्य की घटनाओ को पहले ही परख लेते थे। इसके अलावा महाभारत (Mahabharata) में ‘संजय’ भी जिस तरह से युद्ध का पूरा विवरण देते हैं उसे भी एक तरह से टेलीपैथी का उदाहरण कहा जा सकता है।

टेलीपैथी कैसे काम करता है – How telepathy works

दुनिया में जितनी भी चीज़ें होती हैं उन सब के पीछे कुछ न कुछ कारण जरूर होते हैं। टेलीपैथी के साथ भी कुछ ऐसा ही है, ऐसा माना जाता है की मस्तिष्क से निकलने वाली तरंगे जब प्रबल हो जाती है तब हम अपनी बात को किसी तक भी पहुंचा सकते हैं। ये तब ही होता है जब हमारी किसी से बॉन्डिंग अच्छी हो। इन तरंगो में इतनी शक्ति होती है की, एक बार जो व्यक्ति इसका अच्छे से अभ्यास कर लेता है उसे भविष्य की घटनाओ की भी जानकारी हो सकती है।

आकर्षण का नियम क्या है – What is law of attraction

आकर्षण का नियम के अनुसार जब हम किसी चीज की पॉजिटिव साइड (positive side) को सोचते हैं तो हमारे जीवन में उसके सकारात्मक परिणाम ही देखने को मिलते हैं वहीँ अगर हम उसके नेगेटिव साइड (negative side) को सोचते हैं तो हमें उसका नकारात्मक परिणाम ही मिलता है। अन्य शब्दों में कहा जाए तो हम जैसा सोचते हैं वैसा ही हमारे साथ होता है, अगर हम पॉजिटिव और अच्छी बातें सोचेंगे तो हमारे साथ भी पॉजिटिव ही घटित होगा वहीं नेगेटिव सोचने पर हमारे साथ नेगेटिव ही घटित होगा। इसलिए अक्सर कहा जाता है की हमें हर स्थिति में खुद को पॉजिटिव रखना चाहिए क्यूंकि हमारे सोच का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

इस लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन का इस्तेमाल करके आप किसी भी चीज़ को पा सकते हैं जैसे पैसा, प्रेम, अच्छा स्वस्थ्य, या फिर कुछ और भी। इस नियम के अनुसार ऐसा माना जाता है की जब हम किसी चीज़ को पूरी मेहनत और लगन के साथ करते हैं तब वो चीज़ हमें मिल जाती है, जो इस सिद्धांत को बेहद ख़ास बना देती है।

आकर्षण का नियम कैसे काम करता है – How does the law of attraction work

विज्ञान के अनुसार दुनिया में जितनी भी चीज़ें हैं सब ऊर्जा का ही एक रूप है। धरती, आकाश, गृह, इंसान, जानवर, पेड़, पक्षी आदि। इन सब चीज़ो में ऊर्जा (energy) की डेंसिटी अलग-अलग होती है जिस कारण हमें सारी वस्तुओ में भेद नज़र आता है। इसी के साथ आप जिसे पाना चाहते हैं वो भी एक ऊर्जा ही है बस वो एक अलग रूप और रंग में है। इसके अलावा विचार भी ऊर्जा का ही एक रूप होते हैं। इन सब में ऊर्जा होने के साथ-साथ इनकी एक निश्चित फ्रीक्वेंसी भी होती है। यही वजह है की जब हम किसी चीज को पाना चाहते हैं और उसके लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं तो उस चीज की फ्रीक्वेंसी ब्रह्माण्ड में चली जाती है और उस वस्तु को लेकर हमारे जीवन में प्रकट हो जाती है। तो ये सब कुछ ऊर्जा पर निर्भर करता है। इसलिए अगर मेहनत, लगन, और ईमानदारी के साथ किसी काम को किया जाए तो वो काम या विचार की फ्रीक्वेंसी ब्रह्माण्ड में जाएगी और उस वस्तु को लेकर प्रकट हो जाएगी।

इसलिए किसी भी काम को कभी भी नेगेटिव माइंडसेट (negative mindsets) के साथ नहीं करना चाहिए , क्यूंकि इस से नेगेटिव फ्रीक्वेंसी जाएगी और जीवन में नकारात्मकता का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा। खुद को हमेशा ऐसे विचारो और लोगो के करीब रखना चाहिए जो पॉजिटिव रहते हो ताकि मेहनत करने में कोई कमी न छूटे।

टेलीपैथी और आकर्षण का नियम में सम्बन्ध – Telepathy and law of attraction relationship

‘टेलीपैथी’ और ‘आकर्षण का नियम’ में सबसे बड़ी समानता ये है की दोनों में वहीं चीज मिलती है जिसके बारे में पूरे दिल से सोचा जाता है और जिसके लिए दिल एवं दिमाग में पूरी सिद्दत और लगन होती है। टेलीपैथी में जब तक सामने वाले से बहुत अच्छा लगाव (attachment) न हो, तब तक काम नहीं करता है। ऐसा ही कुछ आकर्षण के नियम में भी होता है, जब तक अपने मनपसंद चीज को पूरे दिल और मेहनत से न चाहा जाये और साथ ही इस शक्ति पर अच्छे से विश्वास न किया जाए तब तक वो काम नहीं करती है।

टेलीपैथी कैसे करे – How to practice telepathy

  • टेलीपैथी को अपने जीवन में अनुभव करने के लिए कुछ प्रयोग और अभ्यास (practice) करने होते हैं। सबसे पहले तो किसी शांत स्थान पर बैठ जाइये और खुद के मन और विचारो पर काबू पाने का प्रयास कीजिये।
  • इसके बाद आपको अपने विचारो पर ध्यान केंद्रित करना है ताकि विचारो में स्थिरता आने के साथ ही साथ मन शांत हो जाये।
  • मन को शांत करने के बाद आपको उस व्यक्ति की कल्पना करना है जिस तक आप अपना सन्देश पहुँचाना चाहते हैं।
  • इसे प्रैक्टिस करने के लिए आपको ऐसे व्यक्ति का चुनाव करना है जिनसे आपका भावनात्मक जुड़ाव हो। क्यूंकि ये मस्तिष्क के संवेगो पर आधारित होता है इसलिए उन्ही पर कार्य करती है जिनसे आपकी बॉन्डिंग (bonding) अच्छी होती है।
  • आपको इस प्रैक्टिस में उन्हें ही साथी (रिसीवर) बनाना है जो आपसे भावनात्मक रूप से जुड़े हो और आपको सेन्डर (sender) की भूमिका में रहना है।
  • एक बार साथी का चुनाव हो जाने के बाद आपको अपना सन्देश उन्हें प्रेषित (send) करना है।
  • इसके बाद आपको अपने साथी से अपने परिणामो की तुलना करना है, और देखना है की परिणाम कितने एक्यूरेट (accurate) हैं।

टेलीपैथी कब काम नहीं करता – When telepathy doesn’t work

टेलीपैथी एक ऐसा कार्य है जो मानसिक जुड़ाव पर निर्भर करता है। अगर किसी का जुड़ाव किसी अन्य व्यक्ति के साथ है, लेकिन उस व्यक्ति का जुड़ाव पहले के साथ नहीं है तो ये काम नहीं करता है। जैसे मान लीजिये कोई लड़का है और उसका किसी लड़की पर क्रश (crush) वो लड़का तो लड़की को पसंद करता है लेकिन वो लड़की उसे पसंद नहीं करती, इस स्थिति में टेलीपैथी काम नहीं करता है। इसकी सबसे जरूरी शर्त यही है की दोनों के बीच अच्छी बॉन्डिंग होनी चाहिए। ऐसे में अगर वो लड़का उसे याद भी करेगा तब भी बहुत कम संभावना है की उस लड़के को उस लकड़ी का सन्देश आएगा।

आज के समय में जब लोगो के बीच इंटरनेट और टेक्नोलॉजी के सहारे संपर्क स्थापित होता है ऐसे में टेलीपैथी जैसी चीज भी महत्व रखती है। वैसे पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता की टेलीपैथी वास्तव में कार्य करती है या नहीं लेकिन फिर भी कई बार ऐसी घटनाये देखने और सुनने को मिल जाती है जिस से टेलीपैथी के बारे में जानना जरूरी हो जाता है। आप ने अगर इस कांसेप्ट को पहली बार जाना है तो एक बार इसका अभ्यास करके देख सकते हैं।

इस लेख में हमने आपको telepathy kya hai और telepathy kaise kare जैसे महत्वपूर्ण विषय से रूबरू करवाया। इस सम्बन्ध में इनके बारे में जानना जरूरी है ताकि हम टेलीपैथी को अच्छे से समझ, अपने जीवन में इसका अभ्यास कर सके और सम्बन्धो को बेहतर कर सके। क्यूंकि किसी के मन की बात को जान लेने से कई तरह की समस्याओ का समाधान हो सकता है और साथ ही इस से हमें सामने वाले को और अच्छे से समझ पाने में सहूलियत होती है। इसी के साथ law of attraction kya hai और law of attraction kaise kaam karta hai को भी इस लेख में शामिल किया ताकि ‘टेलीपैथी’ और ‘आकर्षण का नियम’ के बीच के सम्बन्ध को अच्छे से समझ सके। उम्मीद करते हैं की ‘टेलीपैथी क्या है’ और ‘आकर्षण का नियम कैसे काम करता है’, लेख से आपका ज्ञानवर्धन हुआ होगा।

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