आपने ‘मुसीबतो का पहाड़ टूटना’ कहावत तो जरूर सुना होगा ? इस लेख में हम जिस व्यक्तित्व के बारे में जानकारी देने वाले उनपर ये मुहावरा बिलकुल सटीक बैठता है। ये कहानी है, एक ऐसी लड़की की जिसने ट्रैन हादसे में अपना पैर गंवाने के बावजूद हिमालय (Himalaya) की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की चढ़ाई की और अपने बुलंद हौसलों से देश और दुनिया को रूबरू करवाया। हम बात कर रहे है पहली भारतीय विकलांग महिला की जिसने माउंट एवेरेस्ट (Arunima Sinha mount everest) फतह किया। ये कहानी है अरुणिमा सिन्हा की, जिन्होंने अपनी कमजोरी को ताक़त बना विश्व भर में एक मिसाल कायम करने का कार्य किया। अगर आप अरुणिमा से परिचित नहीं हैं तो आपके मन में प्रश्न उठ सकता है की arunima sinha kaun hai बता दें की अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) पहली भारतीय विकलांग महिला है जिन्होंने माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ाई की। अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) ने एक ट्रैन हादसे में अपना पैर गंवा दिया था लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी चुनौतियों के आगे घुटने नहीं टेके और दुनिया की सबसे ऊँची छोटी माउंट एवेरेस्ट को फतह करके दिखाया।
‘अगर हौसले मजबूत हो तो हम कुछ भी कर सकते हैं’ ऐसा समय समय पर लोग साबित करते रहते हैं। Arunima Sinha भी उन्ही लोगो में से एक है जिन्होंने ये साबित करके दिखाया है। एक बार सोच के देखिये, किसी महिला का पैर बहुत बुरी तरह से घायल है और वो दर्द से तड़प रही है बावजूद उसके वो एक बहुत ही कठिन फैसला करती हैं और उस फैसले को अंजाम तक भी पहुंचाती है। इस कहानी में दर्द है, जूनून है, लक्ष्य को पाने का पागलपन है, और अपने फैसले पर अडिग रहना का साहस है। आज के समय में जहां लोग छोटी छोटी बातों पर हार मान जाते है और अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले, या तो उसे बदल देते है या फिर छोड़ देते है। ऐसे में Arunima Sinha की कहानी बहुत ही प्रेरणा देने का काम करती है। अगर विद्यार्थी या कोई और, जो अपने जीवन को लक्ष्य के आधार पर साधना चाहता है उसे इस कहानी को बड़ी ही गंभीरता से पढ़ना और जानना चाहिए ताकि वो कभी भी अपने लक्ष्य से न भटके, और अपने मार्ग पर साहस पूर्वक चलता रहे। इस लेख में हम आपको arunima sinha jivani in hindi के साथ साथ उनके संघर्ष की कहानी से अवगत कराएँगे, इसके अलावा arunima sinha motivational story को भी बताएँगे। आज की युवा पीढ़ी के लिए arunima sinha full story in hindi को जानना इसलिए जरूरी है ताकि वो उनसे प्रेरित होकर अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर निरंतर तब तक चलते रहे, जब तक वो अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच जाते।
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अरुणिमा सिन्हा की जीवनी
Arunima Sinha का जन्म (1988) में उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर में हुआ था। Arunima Sinha का सम्बन्ध पर्वतारोहण (mountaineering) और वॉलीबॉल (Volleyball) से रह चूका है। राष्ट्रीय स्तर पर Arunima Sinha ने वॉलीबॉल भी खेला हुआ है। सब कुछ ठीक ही चल रहा था की साल 2011 में जब वो ट्रैन से लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं तब उनके साथ कुछ ऐसा घटित हुआ जिसे भूलना उनके लिए नामुमकिन सा हो गया। जिस ट्रैन में वो सफर कर रही थीं उस ट्रैन का नाम पद्मावती एक्सप्रेस (Padmavati Express) था।
अरुणिमा सिन्हा एक्सीडेंट स्टोरी हिंदी में Arunima Sinha accident story in hindi
Arunima Sinha लखनऊ से दिल्ली पद्मावती एक्सप्रेस (Padmavati Express) ट्रैन से जा रहीं होती हैं तभी ट्रैन में रात में कुछ गुंडे आते है और Arunima Sinha से लूटपाट करने की कोशिश करते हैं और इसी दौरान अरुणिमा सिन्हा खुद को बचाने का प्रयास करती हैं लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, गुंडों ने Arunima Sinha को चलती ट्रैन से नीचे धकेल दिया, जिस कारण वो पटरियों पर जाकर गिर गयी और उनका पैर बुरी तरह से घायल हो गया। रात भर अरुणिमा सिन्हा अपने लहूलुहान पैरो के साथ मदद का इंतजार करती रही लेकिन उस समय आस-पास उनकी चीख सुनने वाला कोई नहीं था।
अगली सुबह जब कुछ गांव वालो ने एक महिला को ज़ख़्मी पड़े देखा तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया। Arunima Sinha को तब तक इंतजार करती रह जाती हैं और उन्हें होश फिर सीधा अस्पताल में आता है। इस दौरान इतनी पीड़ा सहने के बावजूद उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी। इस दुखद हादसे में उनका एक पैर चला गया और दूसरे में रोड लगाई गयी। उसके बाद उन्हें दिल्ली के AIIMS में भर्ती करवाया गया जहां पर उनका इलाज चला। इस दौरान उन्होंने बहुत दर्द सहा लेकिन कभी भी अपने हौसलों को पस्त होने नहीं दिया। अगर Arunima Sinha की जगह कोई और होता तो शायद वो ज़िन्दगी से उम्मीद छोड़ बैठता और खुद की किस्मत को खूब कोसता और रोता रहता। लेकिन Arunima Sinha ने अपने अदम्य साहस से ये साबित किया की अगर ‘हौसले मजबूत हो तो हर मुसीबत और चुनौती छोटी हो जाती है’। इस न भूला सकने वाले हादसे के बाद Arunima Sinha के जीवन में एक नया अध्याय चालू होता है। जिस कारण आज Arunima Sinha को पूरी दुनिया जानती है। अगर बात की जाए arunima sinha motivational story की तो उनकी ये कहानी बहुत प्रेरणादायक है, जिस से सीख लेकर हर कोई अपने जीवन में अपना लक्ष्य हासिल कर सकता है।
अरुणिमा सिन्हा के माउंट एवरेस्ट चढ़ने की कहानी हिंदी में Arunima Sinha mount everest story in hindi
इतने दुखद हादसे में अपना पैर गंवाने के बाद भी अरुणिमा सिन्हा ने हार नहीं मानी और इस घटना के घटने के दो साल में ही उन्होंने हिमालय की संबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह किया। जहां परिवार,दोस्त और डॉक्टर उन्हें आराम करने की सलाह देते थे वही उन्होंने किसी की परवाह किये बिना अपने दर्द को झेलते हुए माउंट एवेरेस्ट फतह करने के लिए अभ्यास आरम्भ किया। वह कई बार अभ्यास करती थीं तो उनके ज़ख़्मी पैरो से खून निकल जाता था और उन्हें बहुत दर्द का सामना करना पड़ता था लेकिन कभी भी उन्होंने उस दर्द को अपने मंजिल के बीच आने नहीं दिया और निरंतर प्रयास करती रहीं। अरुणिमा सिन्हा यही नहीं रूकती हैं वो अपने हौसलों को विस्तार देते हुए दुनिया के दूसरे चोटियों को भी फतह करने का निश्चय करती हैं।
अगर उनकी जगह कोई और होता तो वो निश्चित तौर पर हार मान चुका होता है और अपनी ज़िन्दगी को नर्क समझ बैठा रहता लेकिन ये तो Arunima Sinha थीं जिनके आगे डर भी डर गया। Arunima Sinha ने अपने साहस से ये साबित किया की अगर आपमें जज़्बा है तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं। सोच के दखिये, जिस प्रकार से अरुणिमा सिन्हा के घर के लोगो द्वारा उनको विकलांग समझा गया, अगर वो उनकी बात का प्रतिरोध नहीं करती तो शायद हम आज जिस अरुणिमा सिन्हा को जानते है उन्हें नहीं जानते। इसलिए उनके जज़्बे की समझना बहुत जरूरी है क्यूंकि उन्हें अपने परिवार को इस काम के लिए समझाने में बहुत मेहनत लगी होगी।
अरुणिमा सिन्हा मोटिवेशन हिंदी में – Arunima Sinha motivation in hindi
आज के समय युवा और उनके माता पिता अरुणिमा सिन्हा की इस प्रेरणादायक कहानी से बहुत कुछ सीख सकते है। अरुणिमा सिन्हा ने खुद को, खुद की मेहनत के बदौलत जिस प्रकार से साबित किया उस तरह से आप भी खुद को बेहतर बना और अपने संकल्प को बढाकर अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुँच सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपके हौसले बुलंद होने चाहिए। इस लेख में arunima sinha motivational story को जानने के बाद किसी की भी आँखों में आंसू आ जायेंगे। आज Arunima Sinha सबके लिए एक रोल मॉडल (Role Model) हैं जिनसे प्रेरणा लेकर कोई भी खुद को मजबूत बना सकता है।
जीवन में लक्ष्य का होना बहुत ही जरूरी है। लक्ष्य के आभाव में जीवन नीरस हो जाता है और ये जीवन एक बेपटरी रेलगाड़ी के सामान हो जाता है जिसकी दशा और दिशा बता पाना बहुत ही कठिन काम होता है। इसलिए अगर आप इस कहानी से कुछ सीखना चाहते है तो सबसे पहले अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित कीजिये उसके बाद उसकी प्राप्ति के लिए पूरी मेहनत कीजिये। आप अरुणिमा सिन्हा को प्रेरणास्रोत मान उनके तरह हार न मानने का निश्चय कीजिये और अपने उद्देश्य के लिए काम करना आरम्भ कर दीजिये। ‘कोई भी लक्ष्य आपके हौसले से बड़ा नहीं होता’, इसको Arunima Sinha ने बखूबी साबित किया है। उनका न हार मानने वाले निश्चय के कारण ही आज उनके नाम विश्व का सबसे ऊँचा स्थान को फतह करने का रिकॉर्ड है। एक विकलांग महिला के रूप में उनका ये रिकॉर्ड बहुत मायने रखता है और अन्य महिलाओ को भी कुछ नया करने की प्रेरणा देता है।