अगर बात की जाए gautam buddha ki kahani के बारे में तो उनके जन्म से लेकर उनकी जिंदगी और उनकी शिक्षाएं और फिर महापरिनिर्वाण तक की, तो ये बुद्धा की बहुत ही बड़ी और रोचक यात्रा रही थी। जिसमे उन्होंने अनेको कष्ट सहे, लेकिन फिर भी वो अपने ज्ञान प्राप्ति के मार्ग पर चलते रहे और अपने लक्ष्य प्राप्ति पर ही रुके। वहीं अगर बात की जाये की light of asia kise kaha jata hai तो बुद्धा को ‘एशिया के ज्योति पुंज’ (Light of Asia) के नाम से भी जाना जाता है। आज के इस लेख में हम मुख्य रूप से चर्चा करेंगे gautam buddha teachings in hindi, गौतम बुद्धा से सम्बंधित जीवन life and teachings of gautama buddha `इसके अलावा gautam buddha story and life teachings,के साथ ही साथ gautam buddha ki kahani को भी देखेंगे और समझेंगे।
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गौतम बुद्धा की जीवन कहानी – Life story of Gautam Buddha
ऐसी मान्यता है कि वैशाख मास की पूर्णिमा को गौतम बुद्धा का जन्म 563 BC को नेपाल के लुम्बिनी, कपिलवस्तु के निकट में हुआ थ। गौतम बुद्धा के बचपन का नाम ‘सिद्धार्थ गौतम’ (Siddharth Gautam) था। सिद्धार्थ के पिता का नाम राजा ‘शुद्धोधन ‘ (Suddhodana) एवं माता का नाम महारानी ‘महामाया’ (Mahamaya) था। उनके पिता शाक्यगण (Shakyagan) के प्रधान और माता कोलिय गणराज्य (Koliya) से ताल्लुक रखती थीं। सिद्धार्थ के जन्म के कुछ दिन के पश्चात् ही इनकी माता महामाया का देहांत हो गया। जिसके बाद इनका लालन-पालन महाप्रजापति गौतमी (Mahaprajapti Gautami) ने किया। जब इनका जन्म हुआ था उस समय बहुत से साधु-संतो को राजा शुद्धोधन ने अपने दरबार में आमंत्रिक किया था। साधु -संतो ने जब शिशु सिद्धार्थ को देखा तो उन्होंने पहले ही बता दिया ये बालक बड़ा होकर, महान योद्धा या महान संत बनेगा।
राजा शुद्धोधन चाहते थे, की उनका पुत्र एक महान योद्धा और राजा बने। इसलिए जब उन्होंने साधु-संतो की बाते सुनी तो उन्होंने सिद्धार्थ को हर तरह के दुखो से दूर रखने का फैसला किया और सिद्धार्थ को किसी भी तरह के दुःख से गुजरने नहीं दिया। जब सिद्धार्थ 16 वर्ष के हुए तो इनका विवाह करवा दिया गया। gautam buddha ki patni ka naam ‘यशोधरा’ (Yashodhara) था। वह शाक्य कुल से ताल्लुक रखती थीं । सिद्धार्थ और यशोधरा का एक पुत्र हुआ जिसका नाम ‘राहुल’ (Rahul) था। इस तरह से gautam buddha ki kahani आगे बढ़ती है, और वो धीरे-धीरे उन चीज़ो से अवगत होने लगते है जिसे अबतक उनके पिता उन से छुपा रहे थे।
एक बहुत ही मशहूर कहानी है सिद्धार्थ गौतम के बारे में जिसको आपने ज़रूर सुना होगा। सिद्धार्थ के बड़े भाई देवदत्त (Devdutt) एक हंस को तीर मारकर घायल कर देते है। बालक सिद्धार्थ इस घटना को देखकर बहुत दुखी और बेचैन हो जाते है और उस हंस की मलहम लगाके रक्षा करते हैं। इस कहानी में जो सीखने के लिए बात है, की बचाने वाला सदैव मारने वाले से बड़ा होता है। इस कहानी को अक्सर छोटे बच्चो को पढ़ाया और सिखाया जाता है।
महाभिनिष्क्रमण क्या है? गौतम बुद्धा का गृह त्याग – Home Renunciation of Gautam Buddha
अब पर हम जानेंगे की mahabhinishkramana kya tha और बुद्धा का इस से क्या सम्बन्ध है। कहानी के अनुसार राजा ‘शुद्धोधन ‘ सिद्धार्थ को हर तरह के दुखो से दूर रखते थे, जिस कारण सिद्धार्थ को कभी भी सांसारिक दुखो के बारे में जानकारी नहीं मिली। लेकिन एक दिन जब वो अपने रथ से नगर भ्रमण के लिए निकले तो रास्ते में उन्होंने – वृद्ध व्यक्ति, बीमार, लाश एवं एक संन्यासी को देखा उन्हें देखने के पश्चात् सिद्धार्थ को काफी पीड़ा हुई, और उनका मन बेचैन हो उठा, इसके बाद सिद्धार्थ अपने सारथी से इनके बारे में पूछा ? उसके द्वारा ये बताने पर की ये सब जीवन की वास्तविकता है, को सुनकर सिद्धार्थ को गहरा दुःख पहुंचा। सिद्धार्थ ने जब ये सुना तो उनकी इच्छा हुई की वो जीवन का रहस्य या दुखो का कारण खोजे और वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करें।
इसी के पश्चात् सिद्धार्थ ने ये फैसला कर लिया की वो गृह त्यागा करेंगे। और उन्होंने फिर किया भी ऐसा ही। अपना घर-महल, परिवार सारी सुख सुविधाओं को छोड़कर वो ज्ञान प्राप्ति के लिए निकल गए। बुद्धा ने उन्तीस वर्ष के आयु में अपना गृह त्याग कर दिया था। इसी घटना को यानी siddharth ka grah tyag को ही ‘महाभिनिष्क्रमण’ (mahabhinishkramana) कहा जाता है। बौद्ध धर्म में ये एक बहुत बड़ी घटना मानी जाती है।
सिद्धार्थ गौतम बुद्धा कैसे बने ? – How did Siddhartha Gautam become Buddha?
सिद्धार्थ के घर छोड़ने के पश्चात् ये जानना महत्वपूर्ण है, की siddharth gautam buddha kaise bane और उन्होंने ज्ञान प्राप्ति कैसे की? गृह त्याग करने के पश्चात् वे भिक्षु का वेश धारण कर अपनी तपस्या करने लगे ताकि वो परम सत्य की तलाश कर सके और ‘दुख का कारण और निवारण’ जान सके। ‘अलार कलाम’ (Alar kalam) नामक संन्यासी को पाली ग्रन्थ के अनुसार सिद्धार्थ गौतम का गुरु बताया गया है। बहुत दिनों तक बुद्धा इनके पास रहे और सांख्य मार्ग तथा समाधी मार्ग का अध्ययन किया तत्पश्चात वो Alar Kalam को छोड़ आगे बढ़ गए।
बुद्ध को ज्ञान कैसे मिला हिंदी में ? – How buddha got enlightenment in hindi ?
सात वर्षो तक ज्ञान की खोज में इधर-उधर भटकने के बाद पैंतीस वर्ष की अवस्था में ‘उरुवेला’ (Uruvela) नामक स्थान (जो की आज के बिहार के बोधगया Bodh Gaya का ही पुराना नाम था), में उनचास दिन तक तप करने के पश्चात् वैशाख पूर्णिमा की रात, निरंजना (पुनपुन) नदी के तट पर, पीपल (Peepal Tree) वृक्ष के निचे, सिद्धार्थ गौतम को परम ज्ञान (Ultimate Truth) की प्राप्ति हुई। इसी परम ज्ञान को प्राप्त करने के बाद से सिद्धार्थ गौतम ‘तथागत बुद्धा’ (Tathagat Buddha) कहलाये। अगर बात की जाए meaning of buddha की तो बुद्धा का मतलब होता है ‘ज्ञान की प्राप्ति’ या ‘जागृत व्यक्ति’ (Enlightened) अर्थात जिसे सही और गलत में भेद करना आता हो। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् बुद्धा ने वर्षो तपस्या करके जो ज्ञान अर्जित किया था, उसको लोगो तक पहुंचाना शुरू कर दिया।
धर्मचक्र-प्रवर्तन क्या है ? महात्मा बुद्ध का पहला उपदेश – What is dharmachakra pravartan ?
यहाँ पर हम आपको dharmachakra pravartan kya hai के बारे में जानकारी देंगे। जब बुद्धा को ज्ञान की प्राप्ति हो गयी तब उन्होंने सारनाथ (Sarnath) के लिए प्रस्थान किया जहाँ पर उनके पांच ब्राह्मण सन्यासी शिष्य बने, जिन्हे उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया था। इसी घटना को धर्मचक्र-प्रवर्तन (Turning of the wheel of law) के नाम से जाना जाता है। इसके उपरान्त महात्मा बुद्धा ने अनेको नगरों और राज्यों का दौरा किया, जहाँ पर उन्होंने अपने विचारो और ज्ञान को आम लोगो तक पहुँचाया। मगध (Magadh) महात्मा बुद्धा का प्रचार केंद्र था। इसी के साथ बिम्बिसार, उदायिन जैसे राजा भी उनके अनुयायी बने। बौद्ध धर्म का प्रचार होता रहे और लोग इससे अधिक से अधिक जुड़ सके, इसके लिए उन्होंने ‘बौद्ध संघ ‘ (Buddhist Sangh) की स्थापना की। उनका एक सबसे करीबी शिष्य, जिसका नाम ‘आनंद’ (Anand) था, हमेशा उनके साथ रहता था।
गौतम बुद्धा द्वारा दी गयी शिक्षाएं हिन्द में – Teachings of gautam buddha in hindi
महात्मा बुद्धा की सालो की तपस्या और ज्ञान का ही परिणाम है की आज बौद्ध धर्म दुनिया के अनेको देशो में फ़ैल चूका है, इसलिए teachings of gautam buddha in hindi के बारे में जानना बहुत जरूरी है, ताकि आप भी बुद्धा द्वारा दी गयी शिक्षाओं को ग्रहण कर, अपने जीवन को सांवर सके। बोध धर्म को समझना इसलिए महत्पूर्ण है क्यूंकि ये अहिंसा पर आधारित है और साथ ही दुनिया के बहुत से देशो में इसके अनुयायी है। बौद्ध धर्म तीन रत्न (त्रिरत्न ) पर आधारित हैं – बुद्ध, धम्म और संघ।
एक बहुत ही मशहूर पंक्ति है जिसका अर्थ है की “मैं ज्ञान की शरण चाहता हूँ।”
बुद्धं शरणं गच्छामि – मैं बुद्ध की शरण लेता हूँ।
धम्मं शरणं गच्छामि – मैं धर्म की शरण लेता हूँ।
संघं शरणं गच्छामि – मैं संघ की शरण लेता हूँ।
बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य – Four Noble Truths of Buddhism
बौद्ध धर्म के अनुसार, arya satya kya hai के बारे में बात करे तो, इसका मतलब होता है की बौद्ध धर्म के ये वो सिद्धांत है जिनके आधार पर कोई व्यक्ति बौद्ध धर्म को समझ सकता है, और साथ ही इनसे जीवन की वास्तविकता का भी पता चलता है। बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य होते हैं।
1. दुःख – ये जीवन दुखो से भरा हुआ है अर्थात इस दुनिया में दुःख है।
2. समुदय – अगर दुःख है, तो उनके कुछ कारण भी हैं।
3. निरोध – और अगर दुखो के कारण मौजूद है तो उनके निवारण भी है।
4. मार्ग – दुखो का निवारण करने के लिये ‘आर्य अष्टांगिक’ मार्ग हैं।
दुःख का कारण – Cause of sorrow and suffering
आज के समय में यदि देखा जाए तो हर कोई दुखी है, और उसके भीतर से dukh ka karan kya hai यही सवाल निकलता है। गौतम बुद्धा के अनुसार, इंसान जीवन भर दुखो को इसलिए भोगता है, क्यूंकि वो अत्याधिक इच्छा और तृष्णा से भरा हुआ है, और सदैव सुख की तलाश में भटकता रहता है, लेकिन सुख तो उसे प्राप्त नहीं होता अपितु उस सुख प्राप्ति के मोह में वो दुखो को बढ़ाता जाता हैं। यदि किसी व्यक्ति को दुखो से मुक्त होना है, तो उसको अपनी लालसा और लोभ को त्यागना होगा, तभी वो अपने जीवन में एक वास्तविक सुख की अनुभूति कर पायेगा।
आर्य अष्टांगिक मार्ग क्या है? – What is the Arya Eightfold Path?
दुःख का कारण जानने के बाद arya ashtangika marga in hindi को समझना जरूरी हो जाता है। अष्टांगिक मार्ग महात्मा बुद्धा द्वारा दुखो से मुक्ति पाने और तथ्यात्मक-ज्ञान प्राप्त करने के एक साधन या तरीके के रूप में बताय गया है। यदि कोई व्यक्ति इन सूत्रों को अपने जीवन में उतारता है वो निश्चित रूप से उसे अपने जीवन के दुखो से मुक्ति पाने में सहायता मिलेगी।
1. सम्यक दृष्टि – इसका अर्थ है आर्य सत्य में विश्वास करना और वास्तविक स्वरुप का ध्यान रखना
2. सम्यक दृढ़-निश्चय – नैतिक और मानसिक विकास का संकल्प करना
3. सम्यक वाणी – हमेशा सही वाणी का प्रयोग करना, झूठ आदि नहीं कहना।
4. सम्यक कृत्य – नैतिक रूप से स्वीकृत काम को करना, दया, दान आदि कार्य को प्रोत्साहन देना।
5. सम्यक आजीविका – सही और नैतिक तरीके से ही कमाई करना।
6. सम्यक प्रयास – जहां भी खुद की गलती महसूस हो, उसे सुधारने का प्रयास करना।
7. सम्यक स्मृति – हमेशा चीज़ो को स्पष्ट, नैतिकता और तटस्थ रूप से देखने वाली योग्यता प्राप्त करने का प्रयत्न करना
8 सम्यक समाधि – निर्वाण की अवस्था प्राप्त करना।
निर्वाण का अर्थ होता है, जीवन और मरण के इस चक्र से गायब या समाप्त हो जाना। बौद्ध धर्म अनीश्वरवादी, अनात्मवादी है। बौद्ध धर्म में आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया जाता है। साथ ही ये पुनर्जन्म में मानता है लेकिन ईश्वर में नहीं। बौद्ध धर्म में हर जाति और वर्ग के लोगो को जगह दी गयी है। इनका सबसे बड़ा और जरूरी त्यौहार ‘वैशाख पूर्णिमा’ (Baisakh Purnima) होता है। 80 वर्ष की अवस्था में महात्मा बुद्धा ने ‘कुशीनारा’ (kushinara) में अपना शरीर त्यागा था (buddha death place hindi)। इसको ही ‘महापरिनिर्वाण’ (Mahaparinirvana) के नाम से जाना जाता है।
गौतम बुद्धा की शिक्षाएं आज भी समाज को रौशनी और दिशा देने का कार्य कर रहीं है। उम्मीद करते है आपको इस लेख में gautam buddha teachings in hindi, life and teachings of gautama buddha, gautam buddha story and life teachings, के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल गयी होगी। बुद्धा के बताये मार्ग पर चलकर अपने दुखो से मुक्ति पाया जा सकता है। इसलिए इस आर्टिकल में हमने आपको gautam buddha ki kahani hindi में बताई ताकि आप भी इनके बारे में जानकार ज्ञान प्राप्त कर सके और अपनी समस्याओ से छुटकारा पा सके।