सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है ? नया संसद भवन कैसा होगा?

देश की राजधानी दिल्ली गवाह बनने वाली है एक ऐसी महत्वाकांक्षी योजना का जो पूरी लुटियंस की दिल्ली (Lutyens Delhi) का कायाकल्प कर देगी। दिल्ली देश का पावर सेण्टर (delhi power center) है। देश की दिशा और दशा यही से तय की जाती है। यही वजह है की दिल्ली में घटित होने वाली छोटी-बड़ी घटना चर्चा का विषय बनी रहती है। दिल्ली वर्षो से सत्ता का केंद्र रही है और यहां हर दौर में परिवर्तन होते रहे है। आज की दिल्ली बहुत सारे परिवर्तनों से होकर गुजरी है। ऐसा ही एक परिवर्तन लुटियंस की दिल्ली (Lutyens Delhi) में होने वाला है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (central vista project) के तहत दिल्ली में बनने वाले महत्वपूर्ण सरकारी इमारते काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री (prime minister) की एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। इस प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों को नए सिरे से बनाया जायेगा और कुछ को रेनोवेट (central vista renovate) करके उसको नया रूप और रंग दिया जायेगा। इस प्रोजेक्ट की सबसे ख़ास बात ये है की इसमें नया संसद भवन का निर्माण करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति का भी नए आवास का निर्माण किया जायेगा। इसे पुनर्विकास परियोजना (central vista redevelopment project) कहा जा रहा है क्यूंकि इस पुनर्विकास परियोजना में कार्यालय भवन, मंत्रालय के कार्यालयों, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के नए आवास का निर्माण होना है। इस प्रोजेक्ट में लगभग 3 किलोमीटर लम्बे राजपथ, के दोनों तरफ मौजूद इमारतों का पुनर्विकास कार्य होना है। इस प्रोजेक्ट में सबसे अहम माने जाने वाली संसद का नया भवन (new indian parliament building) चर्चा का विषय बना हुआ है, जो की तिकोना आकर (triangular shape) का होगा। इस लेख में हम आपको central vista project kya hai in hindi और naya sansad bhawan kaisa hoga के बारे जानकरी देंगे साथ ही हम आपको ‘सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के फायदे’ और ‘भारतीय संसद भवन का इतिहास’ से भी अवगत कराएँगे।

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सेंट्रल विस्टा एवेन्यू – Central Vista Avenue

central vista

1950 से 1954 के बीच गणतंत्र दिवस (republic day parade) की परेड लाल किला (red fort), नेशनल स्टेडियम (national stadium), किंग्सवे (kingsway) और रामलीला मैदान (ramlila maidan) में आयोजित की जाती थी, लेकिन 1955 के बाद से राजपथ (rajpath) को गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन के लिये चुना गया और उसके बाद से वहीं पर गणतंत्र दिवस के समारोह का आयोजन किया जाने लगा। राष्ट्रपति भवन (rashtrapati bhawan) से लेकर इंडिया गेट (india gate) तक के लगभग 3 किलोंमीटर लम्बे मार्ग को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (central vista avenue) के नाम से जाना जाता है। यह जगह दिल्ली की उन चुनींदा जगहो मे से एक है जहां बडी संख्या मे पर्यटक आते है। इसी सेंट्रल विस्टा एवेन्यू को नए सिरे से डिज़ाइन किया जा रहा है और यहां पर स्थित इमारतो को तोडकर या तो नया बनाया जा रहा है या उनको रेनोवेट करके उन्हे नया रूप और रंग दिया जा रहा है। वहीं अगर बात की जाए central vista project architect की तो डॉ. ब‍िमल पटेल (Dr Bimal Patel) सेंट्रल व‍िस्‍टा प्रोजेक्‍ट (Central Vista Project) के चीफ आर्क‍िटेक्‍ट हैं।

सेंट्रल विस्टा का इतिहास – History of Central Vista

1911 मे भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट (capital shifted to delhi from kolkata) किया गया। साल 1912 मे दिल्ली टाउन प्लानिंग कमेटी (delhi town planning committee) का गठन किया गया, जिसका काम नयी राजधानी के प्लानिंग और डिज़ाइन पर रिपोर्ट देना था। इस कमेटी को वायसराय का हाउस, सचिवालय और महत्वपूर्ण इमारतो का डिज़ाइन तैयार करना था। दिल्ली को प्रशासनिक सुविधा के लिहाज से डिज़ाइन करने का काम एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) और हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) को मिला। जिस डिज़ाइन मे हम आज के सेंट्रल विस्टा को देखते है ये उन्ही के द्वारा डिज़ाइन किया गया है यही वजह है की इस पूरे क्षेत्र को लुटियंस दिल्ली भी कहा जाता है। महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय और इमारतो को बनाने का दारोमदार इन्ही पर था। नए बनाये गए शहर के लेआउट (layout) में उद्यान, पार्क और फव्वारे का भी स्थान था जो की शहर को और ज्यादा खूबसूरत बनाने का काम करते है। इस कमेटी ने तेरह तरह के पेड़ो जैसे जामुन, नीम, इमली, अर्जन, शहतूत आदि को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में लगाने का चुनाव किया था। इस पूरे सेंट्रल विस्टा एवेन्यू को वॉशिंगटन के कैपिटल कॉम्प्लेक्स (United States Capitol Complex) और पेरिस के शान्स एलिजे (champs elysees) की तर्ज पर बनाया गया था। राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, संसद भवन, नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को लुटियंस और बेकर ने डिज़ाइन किया था जो की प्रशासनिक और राजकीय जरूरतो के लिये महत्वपूर्ण था।

अभी का सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बहुत सारे चरणो से होकर के गुजरा है। आज जिसे हम राजपथ के नाम से जानते हैं वो कभी किन्ग्सवे (kingsway) और जनपथ क़्वींसवे (queensway) हुआ करता था। राष्ट्रपति भवन ‘वायसराय हाउस’ और इंडिया गेट ‘ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल’ हुआ करता था। सेंट्रल विस्टा एवेन्यू मे बनी ये इमारते राजकीय दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण है ही साथ ही पर्यटन के लिहाज से भी बहुत ज्यादा मायने रखते हैं। हर साल बडी संख्या मे लोग इन्हे देखने आते हैं। इस समय सेंट्रल विस्टा के अंदर राष्ट्रपति भवन, संसद, कृषि भवन, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स (IGNCA), उपराष्ट्रपति का आवास, विज्ञान भवन, इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल, आदि आते हैं। रायसीना पहाड़ी पर बने राष्ट्रपति भवन और इसके इर्द-गिर्द बने ईमारत आकर्षण का केंद्र है। आज के समय में राजपथ पर प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। इसी राजपथ को कभी किंग्सवे कहा जाता था जो की राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैला था। सार्वजनिक स्थानों और मनोरंजक सुविधाओं को बेहतर और मजबूत करना सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है।

प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति का नया आवास – New residence of Prime Minister and Vice President

इस प्रोजेक्ट में प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति का नया आवास भी बनाया जायेगा। राजपथ के एक छोर पर राष्ट्रपति भवन और दूसरे छोर पर इंडिया गेट है, राष्ट्रपति भवन के दोनों तरफ इमारते बनी है जिसे नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के नाम से जाना जाता है। प्रधानमंत्री का नया आवास साउथ ब्लॉक के नजदीक और उपराष्ट्रपति का नया आवास नार्थ ब्लॉक के नजदीक तैयार होगा। अभी जो उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवास बने हुए हैं वो जरूरतों के अनुसार अपर्याप्त माने जा रहे है इसी वजह प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के लिए नए आवास की व्यवस्था हो रही है।

सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास की आवश्यकता क्यों है – Why Central Vista Avenue Needs Redevelopment

1. अत्यधिक ट्रैफिक का दवाब – Heavy Traffic

अभी का सेंट्रल विस्टा एवेन्यू ट्रैफिक का अत्यधिक दवाब झेलने के लिए उपयुक्त नहीं है क्यूंकि इसे कभी भी इतने ज्यादा भीड़-भाड़ को सम्भलने के लिए नहीं बनाया गया था। ऐसा माना जाता है की सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पर ट्रैफिक और भीड़भाड़ का दवाब बहुत अधिक बढ़ गया है जिस वजह से इस पूरे क्षेत्र का पुनर्विकास करना बहुत जरूरी है।

2. अत्यधिक सार्वजनिक उपयोग – Heavy Public Use

सेंट्रल विस्टा एवेन्यू देश के महत्वपूर्ण इलाको में से एक है जिस वजह से यहां पर हमेशा भीड़भाड़ बनी रहती है। साल 1980 में इस पूरे इलाके को पेड़ो के एक कतार से भरा गया था लेकिन समय बीतने के साथ ही वो मुरझा गए है। हर गुजरते दिन के साथ इस पूरे इलाके पर भीड़ का दवाब बढ़ रहा है और ये कारण भी सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास को प्रेरित कर रहा है।

3. गणतंत्र दिवस समारोह के लिए बेहतर व्यवस्था की जरूरत – Need for better arrangements for Republic Day celebrations

गणतंत्र दिवस की परेड प्रत्येक वर्ष होती है जिस वजह से इस पूरे इलाके को बेहतर देखभाल की ज़रुरत होती है ताकि सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम हो सके। गणतंत्र दिवस की तैयारी के दौरान पब्लिक गतिविधि पर भी असर पड़ता है इसलिए इस क्षेत्र के पुनर्निर्माण को जरूरी समझा जा रहा है ताकि कम से कम पब्लिक मूवमेंट प्रभावित हो और इस पूरे इलाके को परिदृश्य क्षति से भी बचाया जा सके।

4. पैदल चलने वाले लोगो के अनुकूल नहीं – Not Pedestrian Friendly Pathway

मौजूदा सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पैदल चलने वाले लोगो के लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है, उनके लिए जितनी सुविधाएं होनी चाहिए उतनी नहीं है। ट्रैफिक के पीक समय में पैदल रोड पार करने वालो को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है और सड़क को पार करना किसी खतरे से कम नहीं होता, इस पूरे क्षेत्र का पुनर्विकास करने के पीछे ये भी एक कारण है।

5. सामान बेचने वालो के लिए सुविधाओं का आभाव – Lack of Facilities for Vendors

सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में वेंडर्स के लिए अपर्याप्त सुविधाएं है जिस वजह से उन्हें तो दिक्कत होती ही है साथ ही आम नागरिको और वहां घूमने आये सैलानिओ को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के फायदे :- Highlights of the Central Vista Avenue Redevelopment Project

1. लॉन स्पेस में वृद्धि और हरियाली का पुनर्जीवन :- Bigger Space and Restoring Green Area

इस पूरे क्षेत्र में पुनर्विकास कार्य संपन्न होने के उपरांत लॉन (lawn) का स्पेस 3,50,000 sq. मीटर से बढ़कर 3,90,000 sq. मीटर हो जायेगा। इसके साथ ही यहां के ग्रीन स्पेस में भी वृद्धि हो जाएगी जिस से ये पूरा क्षेत्र खूबसूरत लगने के साथ ही साथ प्राकृतिक रूप से भी हरा-भरा हो जायेगा।

2. राष्ट्रीय उत्सवों के अधिक जगह – More Space for National Festivals

पुनर्विकास कार्य पूरा हो जाने के बाद, राष्ट्रीय त्यौहार का आयोजन करने में सहूलियत हो जाएगी, नागरिक सुविधाओं में वृद्धि के साथ ही साथ सुरक्षा व्यवस्था को भी बेहतर करने में आसानी होगी। फोल्डेबल सीटिंग व्यवस्था (foldable seating system) की भी सुविधा को इसमें सम्मिलित किया जा रहा है। इस पूरे क्षेत्र में सुविधाओं के विस्तार के साथ ही इनके उपयोग, बहु-उपयोगी हो जायेंगे।

3. नागरिको और सैलानिओ के लिए बेहतर सुविधा – Better Civic Facilities for Citizens and Tourists

सेंट्रल विस्टा एवेन्यू नागरिको और यात्रिओ के सुविधा के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा। यहां पर कुछ चुनिंदा जगहों पर छोटे-छोटे ब्रिज भी होंगे जो देखने में खूबसूरत तो लगेंगे ही साथ ही नागरिको की सुविधा भी बढ़ाएंगे।

4. पैदल चलने वाले लोगो के लिए अंडरपास की सुविधा – Underpass Facility for Pedestrians

एक ट्रांजिट प्लाजा का निर्माण किया जायेगा जिसका इस्तेमाल पैदल चलने वाले लोग कर सकते है। साथ ही पैदल यात्रीयो के लिए अंडरपास की भी सुविधा होगी जिस से लोगो का मूवमेंट आसान हो सकेगा।

5. बेहतर पार्किंग स्पेस – Better parking space

भारी ट्रैफिक से इस स्थान पर बहुत अधिक भीड़-भाड़ होती है जिस वजह से इस पूरे इलाके में गाड़ियों का बहुत अधिक congestion होता है। इस पुनर्विकास कार्य से गाड़ियों की पार्किंग के लिए स्पेस में वृद्धि हो जाने के साथ-साथ नागरिक सुविधा में वृद्धि ही जाएगी।

6. दुकानदारों के लिए विशेष स्थान – Dedicated Place for Shopkeepers

पुनर्विकास के पूरा हो जाने के बाद यहां पर दुकानदारों के लिए विशेष और कुछ निश्चित स्थान होंगे। इससे इस प्रतिष्ठित स्थान की देखभाल करने में आसानी तो होगी ही, साथ ही इस स्थान तक लोगो की पहुँच भी सुविधाजनक हो जाएगी।

7. नए गार्डन और कैनाल – New Garden and Canal

इस पुनर्विकास परियोजना के पूर्ण होने के बाद हमें राजपथ पर नए गार्डन और कैनाल देखने को मिलेंगे जो इस पूरे क्षेत्र को सूंदर बनाने में योगदान तो देंगे ही साथ ही पर्यटकों को भी आकर्षिक करेंगे।

8. नयी और आधुनिक सुविधा से लैस – Equipped with New and Modern Facilities

इस एवेन्यू में पानी, टॉयलेट, और वेंडिंग एरिया (vending area) की भी सुविधा रहेगी। इसी के साथ यह पूरा इलाका cctv कैमरे की निगरानी में होगा और इंडिया गेट के पास एक एम्फीथिएटर (Amphitheatre) बनाने की भी योजना है। बुजुर्गो के लिए साइन बोर्ड (signage board) भी रहेंगे ताकि उन्हें एक स्थान से दुसरे स्थान तक जाने में सहूलियत रहे। कुछ विशेष जगहों पर रेन वाटर हर्वेस्टिंग की भी सुविधा रहेगी।

9. अत्याधुनिक होंगे साइन बोर्ड – Modern sign boards

प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में अत्याधुनिक साइन बोर्ड का इस्तेमाल किया जायेगा। इसमें लोगो की सुविधा को मद्देनज़र रखते हुए फॉण्ट (font), उसके कलर (color) के साथ साथ सिंबल (symbol) और आइकॉन (icon) पर भी ध्यान दिया जायेगा, इस से लोगो को इस जगह को अच्छे से डिस्कवर करने में आसानी होगी। इसको बनाने का उद्देश्य, एक टिकाऊ और मजबूत साइन बोर्ड बनाना है ताकि ये लम्बे समय तक अपना कार्य करते रहे।

नए संसद भवन का निर्माण – New Parliament Building

New Parliament Building

रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (redevelpment project) के तहत एक नए संसद भवन का निर्माण किया जा रहा है। संसद भवन की नई इमारत करीब 64,500 स्क्वायर मीटर के क्षेत्रफल में फैली होगी। यह नयी ईमारत पुरानी ईमारत के बगल में ही बनेगी। इसका ढांचा तिकोना (indian parliament in triangular shape) आकर का होगा। इसमें लोकसभा चैंबर में 888 सदस्य के एक साथ बैठने की क्षमता होगी और राजसभा में 384 सदस्य बैठ सकेंगे। इसके साथ ही संसद की संयुक्त अधिवेशन होने के समय 1272 सदस्य के बैठने की व्यवस्था होगी। भारत विविधता से भरा देश है और इस बात को दर्शाने के लिए किसी भी खिड़की को दूसरी खिड़की से मेल खता हुआ नहीं बनाया जायेगा। तिकोने आकर मे बनी इस नयी ईमारत की ऊंचाई पुरानी बिल्डिंग जितनी ही होगी। प्रधानमंत्री द्वारा 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण की आधारशिला रखी गयी, इस कार्यकर्म में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, कैबिनेट मंत्रियों और अलग-अलग देशों के राजदूतों ने भाग लिया। उम्मीद किया जा रहा है की अक्टूबर 2022 तक, शीतकालीन सत्र में नया संसद भवन बनकर तैयार हो जायेगा।

भारतीय संसद भवन का इतिहास – History of Indian Parliament House

भारतीय संसद भारतीय लोकतंत्र को प्रकट करती है जिसने बहुत सारे सामाजिक और राजनीतिक बदलावों को देखा है। ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर, के द्वारा मौजूदा संसद भवन का डिज़ाइन तैयार किया गया था। बहुत गहन चिंतन करने के बाद गोल आकार के संसद भवन का डिज़ाइन को फाइनल किया गया था। ऐसा माना जाता है की मौजूद संसद भवन का डिज़ाइन मध्य प्रदेश के मोरेना (Morena, Madhya Pradesh) में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini temple) से प्रेरित है। उस समय मूल रूप से इसे काउंसिल हाउस (council house) कहा जाता था। संसद भवन बनाने में छह साल (1921-1927) का समय लगा था।

नए संसद भवन की आवश्यकता – Need for the New Parliament Building

1. सांसदों के बैठने के लिए स्पेस की कमी – Narrow Seating Space for MPs

देश की बदलती जरूरतों के बीच संसद भवन और उसमे होने वाले काम की प्रकृति में भी बहुत बदलाव आया है और अब ये आज की जरूरतों के हिसाब से उपयुक्त नहीं है जिस वजह से एक नए संसद भवन की जरूरत महसूस की गयी। दरअसल साल 1971 में लोक सभा की सीटों का परिसीमन किया गया था जिसके बाद से लोक सभा की सीट तब से 543 पर स्थिर हुई है, अब अगला परिसीमन का काम साल 2026 में होना शेड्यूल्ड है। परिसीमन होने के पश्चात् सीटों की संख्या में वृद्धि होगी इसलिए भी नयी लोकसभा की जरूरत को महसूस किया गया। वर्तमान समय में लोकसभा में 543 और राज्यसभा के 245 सदस्य हैं।

2. जर्जर होता बुनियादी ढाँचा – Distressed Structure

मौजूदा संसद को बने दशकों हो चुके है। मूल संसद को जिन उद्देश्यों और जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाया गया था अब वो बहुत बदल चुके है। पानी आपूर्ति लाइनें, सीवर लाइन, अग्निशमन, एयर कंडीशनिंग, सीसीटीवी, ऑडियो वीडियो सिस्टम आदि जैसे चीज़े मूल संसद के इंफ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा नहीं थी लेकिन ये सब आज की जरूरतें हैं। अग्नि सुरक्षा सबसे बड़ा चिंता का विषय है। इन्ही वजहों से मैजूदा संसद का ढांचा अनुपयुक्त हो गया है।

3. पुराने ढंग के सूचना साधन – Outdated Communication Tools

अभी के संसद भवन में लगे हुए सूचना के साधन पुराने है जिस वजह से इनका उपयोग आज आधुनिक समय में अनुपयुक्त होगा। इसलिए सभी हॉल्स में लगे हुए acoustics में सुधार की जरूरत है ताकि ये काम में बाधा न पंहुचा सके।

4. सुरक्षा से जुड़ी चिंता – Security Concerns

बिल्डिंग से जुड़ी सबसे बड़ी ढांचागत समस्या ये है की जब मौजूदा संसद बनी थी उस समय दिल्ली Seismic Zone-II में आती थी लेकिन अब ये Seismic Zone-IV में आती है जिस वजह से ये सुरक्षा से जुड़ी चुनौती को बढा देती है।

5. काम करने के लिए अपर्याप्त स्थान – Insufficient Work Space

बढ़ती प्रशासकीय जरूरतों ने वर्क स्पेस को कम कर दिया। ऑफिस के सीमित जगह का ही अलग-अलग कामो में इस्तेमाल होने के कारण तंग कार्यालय बन गए। जिस कारण खराब गुणवत्ता और संकीर्ण कार्यक्षेत्र बनते गए।

नया संसद भवन कैसा होगा – What are the Features of New Parliament Building

1. संसद भवन की नयी बिल्डिंग पुराने संसद भवन के बगल में ही बनेगी। यह 64,500 स्क्वायर मीटर के क्षेत्रफल में फैली होगी, जो की पुराने वाले से अधिक है। इस बिल्डिंग की सबसे ख़ास बात, इसका आकर्षित करने वाला तिकोने आकर का डिज़ाइन होगा।

2. पुराना और नया संसद भवन एक समूह के रूप में एक साथ कार्य करेंगे, इस से संसद का कामकाज निर्बाध और आसान रूप से चलता रहेगा।

3. सांसदों के लिए जगह में बढ़ोतरी होगी, लोक सभा में 888 सदस्य और राज्य सभा में 384 सदस्य के बैठने की क्षमता हो जाएगी।

4. संयुक्त सत्र की स्थिति में लोक सभा हॉल में 1272 सदस्य बैठ सकेंगे। इसका तिकोना आकर जगह के इष्टतम उपयोग में सहयोग करेगा।

5. लोक सभा तीन गुना बड़ा होगा, जिसमे 888 सीट की क्षमता होगी। इसका थीम भारत के राष्ट्रिय पक्षी (national bird) मोर (Peacock) पर आधारित होगा।

6. लोक सभा की तरह ही राज्य सभा का भी हॉल बड़ा होगा जिसमे 384 सदस्य के बैठने की क्षमता होगी। राज्य सभा का थीम (theme) भारत के राष्ट्रीय पुष्प (national flower) कमल (Lotus) पर आधारित होगा।

7. इस नए संसद भवन में एक भव्य और आकर्षक कॉंस्टीटूशनल हॉल (constitutional hall) भी होगा। यह अत्याधुनिक संवैधानिक हॉल लोगो को भारत के लोकतंत्र से रूबरू कराएगा।

8. इस नयी और भव्य ईमारत में सुरक्षित, कुशल और नवीनतम तकनीक से लैस ऑफिस स्पेस होंगे।

9. नयी और आधुनिक तकनीक से लैस होंगे कमेटी रूम, जिसमे बेहतरीन ऑडियो और वीडियो सिस्टम का इस्तेमाल किया जायेगा।

10. संसद भवन के इस नयी ईमारत में एक लाइब्रेरी भी होगी जो सांसदों को आर्काइवड मटेरियल (archived material) से जानकारी इकठ्ठी करने में मदद करेंगे।

11. संसद भवन की नयी बिल्डिंग पर्यावरण के अनुकूल होगी जिसे platinum rated green building का दर्जा प्राप्त होगा।

12. भारत की मिली-जुली संस्कृति और परंपरा को इंगित करता हुआ ये नया संसद भवन होगा। इसमें क्षेत्रीय कला और शिल्प (art and craft) को शामिल कर, भारत की विभिन्नता में एकता की संस्कृति को दिखाया जायेगा।

13. नया संसद भवन दिव्यांग फ्रेंडली (divyang friendly) होगा इसमें दिव्यांग कहीं भी आसानी से और स्वतंत्र रूप से घूम सकेंगे।

14. इसके अलावा नए संसद भवन में सदस्यों के बातचीत करने के लिए एक केंद्रीय लाउन्ज (central lounge) भी होगा। कोर्टयार्ड (courtyard) में राष्ट्रीय वृक्ष (national tree) बरगद का पेड़ (courtyard banyan tree) होगा।

देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले इस सेंट्रल विस्टा के पुनर्निर्माण का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है। इस योजना से लुटियंस की दिल्ली का पूरा नज़ारा बदल जायेगा। आज हम जिस लुटियंस की दिल्ली को देखते है उसमे भारी बदलाव हो जायेगा। इस पूरी परियोजना के पूर्ण होने के बाद इस पूरे क्षेत्र में मौजूद इमारते का रंग-रूप पूरी तरह से बदल जायेगा साथ ही इन दफ्तरों काम होने के तरीके भी बदल जायेंगे। इसके साथ ही इस पूरी परियोजना से यहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उम्मीद करते हैं की central vista project details in hindi और what is central vista project in hindi को आप अच्छे से समझ गए होंगे। इस लेख में हमने central vista project benefits को एक्सप्लेन किया साथ ही, नए संसद भवन के वास्तुकार कौन है और भारतीय संसद भवन का इतिहास क्या है की भी जानकारी दी।

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