सीखना एक निरंतर प्रक्रिया है। व्यक्ति के सीखने की प्रक्रिया उम्र भर चलती है। सीखने से न केवल व्यक्ति को नयी- नयी चीजों का ज्ञान होता है बल्कि वह भावी समस्याओं और चुनौतियों के लिए भी खुद को तैयार कर लेता है। आज के इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में लोग सीखने की प्रक्रिया को समझ नहीं पाते जिस कारण वह बहुत सी ऐसी चीजों को सच मान बैठते हैं जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता। आज के इस लेख के माध्यम से हम सीखने के महत्व को गौतम बुद्ध और उनके एक शिष्य के मोटिवेशनल स्टोरी से समझेंगे।
सीखना क्या है
गौतम बुद्ध और उनके शिष्य की कहानी को जानने से पहले ‘सीखना क्या होता है’ समझ लेते हैं। सीखना एक प्रक्रिया को कहते है जो उम्र भर चलती है। सबके सीखते का तरीका अलग-अलग होता है कुछ लोग एक्सपीरियंस से सीखते हैं तो वहीं कुछ लोग अपने हुनर से सीखते है। लेकिन सीखना बहुत जरूरी होता है ताकि भावी चुनौतियों से निपटा जा सके। साइकोलॉजी में सीखने का वर्णन किया गया है की लोग किस तरह अपने आस-पास के माहौल से सीखते और समझते हैं। उपरोक्त परिभाषा से सीखने के महत्व को समझते हुए आप अपने लक्ष्य की ओर सरलता से बढ़ सकते हैं।
गौतम बुद्ध और उनके शिष्य की कहानी
सीखना क्यों जरूरी है इसे बुद्ध और उनके एक शिष्य की कहानी से अच्छे से समझा जा सकता है। बुद्ध अपने शिष्यों के बुद्धत्व प्राप्त करने पर उन्हें दूसरों को शिक्षा देने के लिए अलग-अलग स्थानों पर भेज देते थे। एक दिन उनका एक शिष्य उनके पास आता है और कहता है,
“बुद्ध मैं पिछले छह वर्षो से आपकी सेवा में हूँ और आपसे शिक्षा ग्रहण कर रहा हूँ आप मुझे कब शिक्षा देने के योग्य समझेंगे?, कब आप मुझे भी दूसरों की भांति शिक्षा देने के लिए भेजेंगे। मेरे बाद आये बहुत से भिक्षु दूसरो को ज्ञान देने के लिए दूसरे गांव में जाते हैं लेकिन मैं अभी तक यही हूँ। “
बुद्ध इस बात पर उसे कहते हैं कि “समय आने पर तुम भी उचित स्थान पर शिक्षा देने के लिए भेजे जाओगे। “
लेकिन वह नहीं मानता है हठ करने लगता है की उसे भी बाकियों की तरह लोगो को शिक्षा देने के लिए भेजा जाए।
उसके बहुत जोर देने और हठ करने पर बुद्ध मान जाते है उसे एक दिशा बताते है जहाँ जाकर उसे भिक्षा मांगनी थी।
पूर्व दिशा में बुद्ध उसे अगली सुबह अकेले जाने के लिए कहते है। वह बहुत खुश होता है और अगली सुबह का बहुत उत्सुकता से इंतजार करने लगता है। वह रात भर यह सोचता है कि कल अपने ज्ञान कौशल से सबको और बुद्ध को प्रभावित कर दूंगा।
अगले दिन वह बुद्ध के बताये दिशा में जाता है और शाम को वापिस ज़ख़्मी अवस्था में बुद्ध के पास लौटकर आता है। बुद्ध उसे लहूलुहान देखकर उसकी मरहम पट्टी कर पूरा हाल सुनते हैं।
वह बताता है की गाँव वाले बहुत बुरे हैं जब वह गाँव में गया तो वहां के लोगों ने उसके साथ बुरा बर्ताव किया और उसे ज़ख़्मी भी कर दिया। उसने कहा की वह अब उस गाँव में कभी भिक्षा मांगने नहीं जायेगा।
बुद्ध ने उसकी पूरी बात सुनी और अगली शाम वापस आने को कहा।
वह अगली शाम फिर से लौटकर बुद्ध के पास आया। उस समय बुद्ध के पास एक और भिक्षु बैठा जिसके हाथ में चोट लगी थी।
बुद्ध उससे पूछते हैं की उसकी यह दशा किसने की तो वह बताता है कि वह पूर्व दिशा में एक गाँव में भिक्षा मांगने गया था जहाँ पर लोगों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, साथ ही उसे अपशब्द भी कहे। उस भिक्षु ने आगे कहा की एक व्यक्ति ने उसे गालियां दी और ज़मीन पर फेंक के भिक्षा दी।
हालाँकि उसने बड़ी ही सहजता से भिक्षा स्वीकार कर ली और उसे आशीर्वाद भी दिया। इसपर उस व्यक्ति को बड़ा दुःख हुआ और उसने कहा,
“आश्चर्य की मैंने तुम्हें गाली दी और पैसे फेंक के दिए तब भी तुम मेरी भलाई की कामना कर रहे हो।”
वह भिक्षुक आगे बताता है कि उसके बाद वह गांव में आगे बढ़ा तो उसे कुछ लोग मिले और उन्होंने उसे अपशब्द कहें और साथ ही वहां से जाने के लिए कहा। इसी दौरान उन्ही में से कुछ लोगों ने उसपर पत्थर भी फेंके जिससे वह लहूलुहान हो गया और उसके हाथ में चोट लग गयी।
वह भिक्षु बुद्ध को आगे बताता है,
“रास्ते में आने के दौरान मुझे एक माँ मिली जो अपने बीमार बच्चे को लेकर बहुत दुखी थी। उसकी मदद करने के लिए मैं जंगल से जाकर जड़ी बूटी ले आया लेकिन गाँव वाले मुझे उस बच्चे का इलाज करने नहीं दे रहे थे। तभी वह व्यक्ति जिसने मुझे पहले भिक्षा दी थी, ने लोगों को समझाया और फिर उन्होंने मुझे उस बच्चे का इलाज करने दिया जिसके बाद वह बच्चा ठीक हो गया।”
“यह देखकर गाँव वालो को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने मुझ से अभद्र व्यवहार के लिए माफ़ी मांगी।”
इतना कहने के बाद वह बोला “बुद्ध मेरी आपसे विनती है की मुझे उसी गांव में रोज भिक्षा लेने जाने की आज्ञा दीजिए। उस गांव के लोग बहुत अच्छे और विनम्र हैं। “
उस भिक्षु की बात को पहला शिष्य भी गौर से सुन रहा था और उसे बहुत जल्दी अपनी गलती का एहसास हो गया और वह बुद्ध के चरणों में गिरकर बोला “बुद्ध मुझे समझ आ गया है की मैं अभी लोगो को ज्ञान देने के लायक नहीं हुआ हूँ, अभी मुझे खुद पर बहुत मेहनत करने की जरूरत है कृपया करके मुझे माफ़ कर दीजिये।”
बुद्ध उसकी बात सुनकर कहते है “कोई भी काम करने से पहले उसे आचरण में लाना बहुत जरूरी होता है, हम दूसरो को वही सिखा सकते हैं जो हम जानते हैं और जिस पर हमारा वश हो।”
बुद्ध आगे कहते हैं “हम भीतर से जैसे होते हैं, लोग भी हमें वैसे ही नज़र आते हैं इसलिए जबतक हम स्वयं को नहीं बदलते तब तक लोगो को भी नहीं बदल सकते। इसलिए खुद में परिवर्तन करना बेहद जरूरी है। जब हम खुद सही का पालन करते हैं तब दूसरो को उसका पालन करने के लिए बड़ी सरलता और अधिकार से कह सकते हैं।”
गौतम बुद्ध की शिक्षाएं निसंदेह self confidence को बढ़ाने में मदद करती हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। ये short inspirational buddhist story आपको जीवन में उचित शिक्षा पाने के महत्व को समझने में मदद करेगी साथ ही इससे आपको बुरे और नकारात्मक विचारो से भी लड़ने में मदद मिलेगी।
सीखना क्यों महत्वपूर्ण
बुद्ध और उनके शिष्य की कहानी जानने के बाद ये देख लेते हैं की जिंदगी में सीखना क्यों महत्वपूर्ण है। सीखने से न केवल सही गलत की परख करने में मदद मिलती है बल्कि मन को वश में करके आगे बढ़ने का उत्साह भी मिलता है। सीखना निम्नलिखित वजहों से जरूरी समझा जाता है।
- सीखकर आप अपनी आय बढ़ा सकते हैं और समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर सकते हैं।
- नयी-नयी चीजे सीखने से आप अपने अवसरों को बढ़ा सकते हैं।
- सीखने से न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि आपने व्यक्तित्व में एक सकारात्मक सुधार भी देखने को मिलता है।
- सीखना एक निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है, जिस तरह भगवत गीता में कर्म करने पर जोर दिया गया है उसी तरह जब आप सीखते रहते हैं तब आप एक खुद को एक विशेष काम में व्यस्त रख पाते हैं जो आपके फोकस को बढाकर अच्छे रिजल्ट देता है।
- सीखते रहने से दक्षता और ज्ञान में बढ़ोत्तरी होती है और आप नए अवसरों भलीभांति लाभ उठा पाते हैं।